Uttar Pradesh’s Farming Is Connected To The Global Market For Carbon Credits
Uttar Pradesh’s Farming Is Connected To The Global Market For Carbon Credits : उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्बन क्रेडिट के लिए खेती को ग्लोबल मार्किट से जोड़ने और ग्रामीण आय बढ़ाने के लिए कृषि वानिकी परियोजना (Agroforestry Project) शुरू की है।
अनुमान के मुताबिक, एग्रोफोरेस्ट्री कार्बन फाइनेंस प्रोजेक्ट से 45 लाख कार्बन क्रेडिट का उत्पादन होगा। वर्तमान परियोजना से कुल 230 करोड़ रुपये की आय होगी, जिसमें प्रत्येक कार्बन क्रेडिट का मूल्य 6 डॉलर होने का अनुमान है।
कार्बन मार्केट कहे जाने वाले ट्रेडिंग मॉडल कार्बन क्रेडिट की बिक्री और खरीद की अनुमति देते हैं। इन्वेस्टर और बिज़नेस एक ही समय में कार्बन क्रेडिट और ऑफ़सेट का आदान-प्रदान कर सकते हैं। ऐसा करने से, पर्यावरण संकट कम होता है जबकि नई बिज़नेस करने के लिए कई संभावनाएं उत्पन्न होती हैं।
एक टन कार्बन डाइऑक्साइड या और कोई ग्रीनहाउस गैसें जो कम हो जाती हैं या अलग हो जाती हैं, एक व्यापर करने वाली कार्बन क्रेडिट के बराबर होती हैं। 2021 में वैश्विक(Globally) स्तर पर कार्बन क्रेडिट का बाजार 760 बिलियन डॉलर होने का अनुमान लगाया गया था और 2028 तक इसके 2.68 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
Uttar Pradesh’s Farming Is Connected To The Global Market For Carbon Credits Hindi
यह एक बोहोत ही दिलचस्प बात है कि भारत बहुत अधिक कार्बन क्रेडिट निर्यात करता है। S&P Global Research के मुताबिक, इसने 2010 और 2022 के बीच स्वैच्छिक कार्बन बाजारों में 278 मिलियन क्रेडिट जारी किए, जो वैश्विक आपूर्ति का 17% है।
ऊर्जा और संसाधन संस्थान (The Energy And Resource Institute) और योगी आदित्यनाथ प्रशासन ने मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर और लखनऊ मंडलों के 29 जिलों में छह कृषि-वानिकी(Agroforestry) आधारित कार्बन वित्त परियोजनाओं को शुरू करने के लिए भागीदारी की है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के एक उच्चतम पद के अधिकारी ने दावा किया कि ‘Polluter Pays Principle’ कार्बन वित्त को नियंत्रित करता है, जिसमें प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियां कार्बन क्रेडिट खरीदती हैं। “परियोजना लकड़ी के ढेर को कृषि वानिकी(Agroforestry) के रूप में बढ़ावा देगी, और वन क्षेत्र के बाहर वृक्षों के आवरण को बढ़ाएगी।
एग्रोफोरेस्ट्री, जिसे अक्सर वृक्ष-आधारित खेती के रूप में जाना जाता है, Carbon Neutral Development को बढ़ावा देने का एक प्राकृतिक(Natural) तरीका है।
इसका नतीजा यह है की किसानों के पास कृषि वानिकी के माध्यम से कार्बन क्रेडिट प्राप्त करने और अतिरिक्त आय उत्पन्न करने के लिए उन्हें फिर से बेचने का एक परीक्षण तरीका है। ये वृक्षारोपण लकड़ी और कागज क्षेत्रों के लिए कच्चे माल की भरपूर आपूर्ति प्रदान करते हैं क्योंकि एग्रोफोरेस्ट्री जलवायु के अनुकूल खेती के लिए एक प्राकृतिक विकल्प है।
उत्पादन, रोजगार और पर्यावरण संरक्षण का समर्थन करने के लिए 2014 में कृषि वानिकी रणनीति को लागू करने वाला भारत पहला देश था।
लगभग 24 मिलियन हेक्टेयर (Million Hectare) के कुल भौगोलिक(Geographical) क्षेत्र में से उत्तर प्रदेश में हरित आवरण की मात्रा 9.23%, या मोटे तौर पर 2.22 मिलियन हेक्टेयर (एमएच) है। राज्य अब 2026-2027 तक अपने हरित क्षेत्र को 9.23% से 15% तक बढ़ाने के लिए 1.75 बिलियन पेड़ लगाकर और किसानों को कृषि वानिकी का अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित करके अपने वन/हरित क्षेत्र को अतिरिक्त 1.40 एमएच तक विस्तारित करने का लक्ष्य बना रहा है।